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दोस्त -06-Dec-2024

कविता - दोस्ती


दोस्ती रिस्तो की एक दस्तूर है

माइने नही रखती, हम पास हैं कि दूर है

दिल मिलने या प्यार होने की बात है

भले ही फेसबुक या व्हाटशाप की मुलाकात है

कौन कहता है कि चैटिंग से दोस्ती नहीं होती

मित्र विनीता इसके उदाहरण साक्षात है

 क्या पास, क्या पड़ोस, न अपना न पराया

कब कौन बन जाए दोस्त ये कहने की बात है?

जब पहली मुलाकात हुई दूर दिल्ली में तो लगा 

कि यह अनमोल रिस्ता ही,हर रिस्तों में खास है

वह मुलाकात नजदीकियां उत्साह से भरा यूं 

लगा बार बार मिलते रहने का हुआ आस है

बार बार उठाता हूं मोबाइल  देखने के लिए कि

कही आया तो नही है कोई मैसेज मेरे पास है

देखा हूं बहुतों को कमाने खाने में व्यस्त हैं

मगर ज़िन्दगी की एक कड़ी हास परिहास है

दूर हो जाते हैं जिंदगी के सारे दुःख दर्द

जब मित्र विनीत है पुनीत है मन से साफ है।  




रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर यू पी 


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4 Comments

Anjali korde

23-Jan-2025 06:03 AM

👌👌👌

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RISHITA

20-Jan-2025 05:39 AM

👌👌👌

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Arti khamborkar

19-Dec-2024 03:18 PM

v nice

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